Sunday, December 14, 2008

ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद



A HINDI POEM DEDICATED TO LORD KRISHNA



ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद


ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद
जो आपने मेरी नौकरी तुड़वाई
उस नौकरी से आपकी सेवा भली
जिसने आप संग नेह लगाई
खूब मिलता है समय अब
आप के संग गपशप का
भजन कीर्तन दर्शन और
गीता अध्यन सत्संग का

ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद
जो मुझे अपनों ने दुत्कारा
किसी ने ना सुनी मेरी
जिसने चाहा उसने फटकारा
मेरे मोहभंग के लिए
यह जरूरी था ही ना
अन्यथा मोहभंग कैसे होता
यह आपकी ही कृपा थी ना

ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद
जो मेरा स्वस्थ्य बिगाडा
बाहर का आना जाना बंद
इसी कमरे में मुझे है गाडा
अब न कही जा पाऊँ
न रहा कोई प्रतिबन्ध
सिवाय आपके साथ सुख
दुख करने के मेरा कहाँ संबध
यह आपकी कृपा नही तो
बताईये और है क्या
सारी दिनचर्या आपके नाम
और कही गुंजायश है क्या

ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद
मेरे सुख के आयाम छीन लिए
जहाँ भर्मित हो सकता था मैं
वोह मुद्दे मेरे जीवन से बीन लिए
मुझे शरणागत बना के प्रभुजी
आप ने मुझे अपना बनाया
मुझे सही राह दिखा के
भजनानंद का मार्ग दिखाया

ओ मेरे कान्हा जी बहुत धन्यवाद
जो मेरा हाथ थाम के मुझे चलाया
क्या खोना था क्या पाना था
इसका भेद अब समझ में आया
मैं जहाँ भटक सकता था
कान्हा ने वो रास्ते किये बंद
मुझे लगा मैं प्रताडित
उसने अपने प्रगाढ़ किये संबध
धन्यवाद निर्विवाद
कान्हा कान्हा गाऊँ मैं
कान्हा जी आपका धन्यवाद्
नित नित अब तो यही गाऊँ मैं

.......... शरणागत

2 comments:

Unknown said...

lovely sahi udgar dikhe hain man ke

Anonymous said...

Sakaaraatmaktaa jhalaktee hai sab shabdon sey


Dhanyawaad Krishna