Tuesday, January 15, 2008

चल मन आज चलें


(Chal man aaj chalein - an Hindi poem dedicated
to Lord Krishna my beloved)

चल मन आज चलें

चल मन आज चलें अपने कान्हा के वृन्दावन धाम
छोड़ सगल जंजाल यह घर गृहस्थी के टंटे यह काम
मन क्यों तड़पे? चल अपनी राधा मैय्या के पास
जहाँ पहुँच चित्त मन को मिले आनन्द नई आस
जहाँ विचरे मेरा कान्हा प्यारा मुरली मधुर बजाता
मोरपंखधारी वो अलबेला गीता ग्यान सुनाता
जहाँ ब्रजभूमि की पवित्र भूमि पर मोर कलोल करते
चल मन वहीं लोट मारें मेरे श्यामसुंदर के दर पे
मेरे कान्हा मेरे कान्हा मैं गाता जाऊँ पुकारता जाऊँ
जब तक न आऎं मुरलीमनोहर विरहगान सुनाऊँ
मेरे श्याम मेरे श्याम मेरी नस नस गाऎ जिह्वा गाऎ
मेरा मन सुनाऎ गान पुराना वही प्रेम से गुनगुनाऎ
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
वृन्दावन में मेरे भाग्य खुले मेरे प्रियतम के दरश हुऎ
सत चित्त आनन्द ही आनन्द मनोरथ सगल सफल हुऎ
मैं मूर्ख खल कामी पर प्रभु ने स्वयंम कृपालुता करी
पात्रता नहीं थी मेरी उसने स्वयंम दयालुता करी
अब क्या कविता लिखूँ या श्री राधेश्याम निहारूँ
???????????? चँचल चितवन में मैं मदहोश हो जाऊँ
??????????

1 comment:

krishnadaasi said...

Bahot Sundar.....Very Beautiful Poem.