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दो नन्ही कविताऎं (ऑरकुट में उत्तर स्वरूप)
कान्हा के करीब कौन किसी ने किया प्रशन
कौन प्यारा उसका किसको देगा दर्शन
मुझे तो कान्हा ने बता रखा है भगवद्गीता न्यारी में
कान्हा सबमे सब कान्हा में सब फूल उसकी फुलवारी में
सभी प्यारे उसको सभी को प्यारा है वो
माँ को ज्यों सभी बच्चे प्यारे प्रेम उसका न्यारा है वो
बोलो बाँके बिहारी की जय
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प्रशन थाः भगवान कहाँ दिखते हैं ?
मेरा उत्तरः
जिधर देखूँ मुझे तो मेरा कान्हा ही नज़र आता है
समझाया उसी ने था इकदिन जो हमसब का दाता है
जो सबको मुझमें मुझको सब में देखता है मेरे प्यारे
उन भक्तों से ऒझल न रहता वो हैं मेरे प्रेमी न्यारे
जब मैं था वो नहीं अब वो है मैं नहीं
अब तो कान्हा ही दिखे मैं जहाँ देखूँ कहीं
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
(LABEL LORD KRISHNA)
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